क्या फिजियोथेरेपिस्ट को डॉक्टर कहा जा सकता है? (Can a Physiotherapist be called a Medical Doctor?): "क्या एक फिजियोथेरेपिस्ट को डॉक्टर कहा जा सकता है?" यह सवाल लंबे समय से बहस का विषय बना रहा है। इस संबंध में पहले भी कई कानून और फैसले लिए जा चुके हैं। हाल ही में अपडेट के अनुसार, भारत में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ हेल्थ साइंस (डीजीएचएस) ने फैसला सुनाया है कि फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे "डॉक्टर" नहीं लगा सकते, क्योंकि इससे मरीज़ों को यह भ्रम हो सकता है कि वे मेडिकल डॉक्टर हैं।
बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी (BPT) भारत में फिजियोथेरेपी शिक्षा के क्षेत्र में अंडर ग्रेजुएट लेवल का कोर्स है। फिजियोथेरेपी में अंडर ग्रेजुएशन का कोर्स पूरा करने के बाद उम्मीदवार फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में प्रैक्टिस कर सकते हैं या आगे की उच्च शिक्षा के लिए मास्टर ऑफ फिजियोथेरेपी (MPT) करने का भी विकल्प चुन सकते हैं। दूसरी ओर, भारत में मेडिकल डॉक्टर बनने के लिए एमबीबीएस की डिग्री आवश्यक है। एमबीबीएस की डिग्री पूरी करने के बाद, मेडिकल प्रोफेशनल को "डॉक्टर" की उपाधि मिलती है। एमबीबीएस पूरा करने के बाद, डॉक्टर आगे डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एमडी) या मास्टर ऑफ सर्जरी (मास्टर ऑफ़ सर्जरी) जैसी पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर सकते हैं। “क्या एक फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे डॉक्टर या डॉ. (Doctor या Dr.) शब्द का उपयोग कर सकता है?” पर इस लेख में एक विस्तृत जानकारी प्रदान की गई है।
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फिजियोथेरेपिस्ट के लिए डॉ. उपसर्ग
भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने मरीजों को भ्रमित होने से बचाने के लिए फिजियोथेरेपिस्टों के नाम से पहले "डॉ." शब्द का प्रयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया है, क्योंकि वे मेडिकल डॉक्टर नहीं हैं। आपत्तियों के आधार पर लिया गया यह निर्णय न्यायालय के निर्णयों के अनुरूप है और भारतीय चिकित्सा उपाधि अधिनियम, 1916 के अनुसार, 2025 के फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम में इसको हटाने के लिए तत्काल संशोधन की आवश्यकता है। अब फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे "डॉ." शब्द का प्रयोग नहीं कर सकते।
फिजियोथेरेपी और एमबीबीएस में अंतर
फिजियोथेरेपी और एमबीबीएस से जुड़ा एक सबसे आम सवाल यह है कि, "क्या फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर होते हैं?" कई लोग इन दोनों के बीच में भ्रमित हो जाते हैं। नीचे फिजियोथेरेपी और एमबीबीएस दोनों के बीच का अंतर एक टेबल के माध्यम से दर्शाया गया है।
डिग्री | फिजियोथेरेपी | एमबीबीएस |
फुल फॉर्म | बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी | बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी |
फील्ड | पैरामेडिकल | मेडिकल |
समय | 4 साल और 6 महीने | 5 साल और 6 महीने |
कोर्स टाइप | अंडर ग्रेजुएशन | अंडर ग्रेजुएशन |
एडमिशन के लिए एग्जाम | नीट | नीट |
मास्टर्स डिग्री | एमपीटी | एमडी/ एमएस |
फिजियोथेरेपिस्टों की मान्यता - भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम एक्ट, 1994
भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम, 1994, पुनर्वास पेशेवरों के प्रशिक्षण को नियंत्रित करता है और एक केंद्रीय पुनर्वास रजिस्टर का रख-रखाव करता है। "फिजियोथेरेपिस्ट" भारत में एक पुनर्वास पेशेवर हैं, और केवल मान्यता प्राप्त योग्यता वाले और रिहैबिलिटेशन कौंसिल ऑफ़ इंडिया (आरसीआई) में पंजीकृत व्यक्ति ही भारत में फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में अभ्यास कर सकते हैं। यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि फिजियोथेरेपिस्ट आरसीआई अधिनियम के नियमों का पालन करें।
इस अधिनियम के अनुसार, फिजियोथेरेपिस्ट मेडिसिन की प्रैक्टिस करने या दवाएं लिखने के लिए अधिकृत नहीं हैं, जब तक कि उनके पास संबंधित डिग्री नही है। वे विशेषज्ञ चिकित्सक होने का दावा नहीं कर सकते और न ही नुस्खों में अपने नाम के पहले "डॉक्टर" लगा सकते हैं, और माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इसे धोखाधड़ी माना है।
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क्या एक फिजियोथेरेपिस्ट को डॉक्टर कहा जा सकता है? - सुप्रीम कोर्ट का फैसला
"क्या एक फिजियोथेरेपिस्ट नाम के पहले डॉ. का प्रयोग कर सकता है?" तो उसका उत्तर है "नहीं"। एक फिजियोथेरेपिस्ट स्वयं को डॉक्टर नहीं कह सकता। भारत में चिकित्सा की तीन प्रमुख प्रणालियां हैं - एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथी। नाम के पहले 'डॉक्टर' शब्द का प्रयोग केवल भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एलोपैथिक,आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथी सिस्टम से डिग्री लेने पर मेडिकल प्रोफेशनल ही कर सकते है और फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे 'डॉ.' लिखकर स्वयं को पंजीकृत चिकित्सक होने का दावा नहीं कर सकते।
इंडियन मेडिकल कौंसिल एक्ट के आधार पर, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था कि 1956 के अधिनियम की धारा 15(2)(बी) स्टेट मेडिकल रजिस्टर में नामांकित चिकित्सक को छोड़कर सभी व्यक्तियों को किसी भी राज्य में मॉडर्न साइंटिफिक मेडिसिन का अभ्यास करने से रोकती है। पंजीकरण दो प्रकार के होते हैं - किसी मान्यता प्राप्त संस्थान में प्रशिक्षण के लिए अनंतिम पंजीकरण, और धारा 15(1) के तहत पंजीकरण। तीसरी श्रेणी "इंडियन मेडिकल रजिस्टर" है, जिसका रखरखाव राज्य चिकित्सा परिषदों द्वारा किया जाता है, जिसके लिए मान्यता प्राप्त संस्था से मेडिकल क्वालिफिकेशन की डिग्री आवश्यक है।
अदालत ने कहा कि स्टेट मेडिकल रजिस्टर में पंजीकृत व्यक्ति को भारतीय चिकित्सा रजिस्टर में तब तक नामांकित नहीं किया जा सकता जब तक कि उसके पास मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता न हो। इस फैसले के अनुसार, प्रत्येक चिकित्सा पद्धति क्रॉसपैथी की अनुमति नहीं देती है, और मान्यता प्राप्त योग्यता वाला व्यक्ति ही उस चिकित्सा पद्धति में अभ्यास करने के लिए अधिकृत है और किसी विशेष चिकित्सा पद्धति का ज्ञान न रखने वाले व्यक्ति को ढोंगी या धोखेबाज़ माना जाता है।
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फिजियोथेरेपिस्ट और मेडिकल डॉक्टर बनने के लिए एग्जाम
भारत में फिजियोथेरेपिस्ट या मेडिकल डॉक्टर बनने के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। फिजियोथेरेपिस्ट बनने के लिए बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी की डिग्री प्राप्त करनी होती है, जबकि मेडिकल डॉक्टर बनने की दिशा में पहला कदम एमबीबीएस होता है।
नीचे दिए गए टेबल में फिजियोथेरेपी और एमबीबीएस के लिए आवश्यक एंट्रेंस एग्जाम से जुड़ी जानकारी प्रदान की गई है,
कोर्स | फिजियोथेरेपी | एमबीबीएस |
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया | किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी के साथ बारवीं कक्षा पास करना | किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी के साथ बारवीं कक्षा पास करना |
एंट्रेंस एग्जाम |
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