भारत में सस्ते मेडिकल कॉलेज: एमबीबीएस पाठ्यक्रम सभी के लिए सुलभ हो इसके लिए जरूरी है कि सभी छात्र भारत में सस्ते मेडिकल कॉलेज (Cheapest Medical Colleges In India in hindi) के बारे में जानकारी प्राप्त करें। भारत के सस्ते निजी तथा सरकारी मेडिकल कॉलेजों की जानकारी की मदद से छात्र एमबीबीएस और बीडीएस दोनों के लिए स्नातक स्तर पर शुल्क संरचना की जानकारी इस लेख के माध्यम से प्राप्त कर सकते है।
मेडिकल डिग्री में स्नातक स्तर पर एमबीबीएस, बीडीएस आदि सहित कई अलग-अलग पाठ्यक्रम ऑफर किए जाते हैं, जिसके लिए उम्मीदवारों को नीट परीक्षा और स्नातकोत्तर स्तर पर नीट पीजी और आईएनआई सीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही प्रवेश प्रदान किया जाता है।
एक बेहतर जीवन के लिए कई छात्र डॉक्टर बनने का लक्ष्य रखते है, ऐसा करने के विभिन्न कारण हो सकते हैं। कारण चाहे जो भी हो, मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेना चिकित्सा के क्षेत्र में करियर बनाने का पहला कदम है। छात्रों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत में डॉक्टर बनने के लिए कितनी धनराशि की आवश्यकता होती है क्योंकि भारत में चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करना बेहद ही महंगा विषय है। जो उम्मीदवार चिकित्सा क्षेत्र में अध्ययन करना चाहते हैं उन्हें चिकित्सा शिक्षा की फीस संरचना से परिचित होना बेहद जरूरी है।
Careers360 का यह लेख उन उम्मीदवारों के लिए भारत के सस्ते मेडिकल कॉलेजों के बारे में जानकारी प्रदान करता है जो उच्च फीस वाले संस्थानों का खर्च वहन नहीं कर सकते। नीट 2025 की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को शुल्क संरचना जानने के लिए भारत के सस्ते निजी मेडिकल कॉलेजों (Cheapest Medical Colleges In India in hindi) पर इस लेख को पढ़ना चाहिए।
JSS University Mysore 2025
NAAC A+ Accredited| Ranked #24 in University Category by NIRF | Applications open for multiple UG & PG Programs
सरकारी बनाम निजी मेडिकल कॉलेजों में आने वाली लागत (Affordability in government vs private medical colleges)
भारत में चिकित्सा शिक्षा की बढ़ती मांग और निजी मेडिकल कॉलेजों के उद्भव के कारण देश में चिकित्सीय शिक्षा बेहद महंगी हो गई है। हालाँकि सरकारी मेडिकल कॉलेज उचित शुल्क लेते हैं, लेकिन मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि वाले परिवारों के लिए पर्याप्त सीटें नहीं हैं।
बहुत कम सरकारी कॉलेज सब्सिडी के आधार पर एमबीबीएस की पेशकश करते हैं, जबकि निजी कॉलेज बहुत अधिक शुल्क लेते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई अत्यधिक महंगी हो जाती है। उदाहरण के लिए, 2018 में, लखनऊ के एक निजी मेडिकल कॉलेज ने एमबीबीएस सीटों के लिए 1.2 करोड़ रुपये की मांग की थी। ऐसे कई मामले है, लेकिन भारत में निजी चिकित्सा शिक्षा, सामान्य तौर पर, महंगी है, जिसकी फीस 25 लाख से लेकर 50 लाख से अधिक हो सकती है।
समस्या
पिछले कुछ वर्षों में कॉलेजों में नीट के माध्यम से मेडिकल सीटों की संख्या में वृद्धि हुई है, सरकार ने 2022-23 से पहले 1,00,000 सीटों का लक्ष्य रखा था, वर्तमान में मेडिसिन के छात्रों के लिए 1 लाख से अधिक सीटें उपलब्ध हैं। लेकिन भारत में परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी छात्रों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त सरकारी कॉलेज सीटें नहीं हैं। हर साल अधिक संख्या में छात्र नीट परीक्षा उत्तीर्ण कर रहे हैं, इसलिए सीटों की उपलब्धता मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। उदाहरण के लिए, नीट के माध्यम से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 48,012 सीटें उपलब्ध हैं, जबकि निजी कॉलेज शेष सीटें प्रदान करते हैं।
सामान्य तौर पर, 650 या इससे अधिक नीट स्कोर करने वाले उम्मीदवार खुद को सरकारी मेडिकल कॉलेजों की दौड़ में शामिल करते हैं। इससे कम अंक प्राप्त करने वाले यानि 450 से 650 अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार निजी कॉलेजों के लिए विचार करते है। इसका अर्थ है कि छात्र किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज के योग्य नहीं है। कई नीट उम्मीदवारों को आसानी से एक निजी मेडिकल कॉलेज में स्वीकार कर लिया जाता है, जबकि उनके पास इसकी अलाभकारी फीस का भुगतान करने के लिए धन की कमी होती है, जबकि कई लोग कम रैंक के साथ भी प्रवेश का खर्च उठा पाने में समर्थ होते हैं।