डॉक्टर्स (चिकित्सक) मानव जीवन के अस्तित्व को बचाये रखने में कदम-कदम पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसलिए इन्हें दुनिया के सबसे सम्मानित प्रोफेशनल्स में माना जाता है। हमारे शरीर की हर छोटी से छोटी समस्या का निदान डॉक्टर के पास होता है और यहां तक कि डॉक्टर्स पशुओं का भी इलाज करते हैं।
आम जीवन में डॉक्टर्स को कई लोग भगवान का दर्जा भी देते हैं। ऐसे में इस सम्मानित प्रोफेशन का हिस्सा बनना अधिकतर छात्रों का सपना होता है। छात्र अपने इस सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं और तब जाकर कहीं उन्हें अपने नाम के आगे डॉक्टर लिखने का सौभाग्य प्राप्त होता है। जब छात्र मेडिकल एजुकेशन की तैयारी शुरू करते हैं तब उनके मन में सबसे पहला प्रश्न यही होता है कि आखिर डॉक्टर कैसे बनें (doctor kaise bane)?
कई बार बहुत अधिक मेहनत के बाद भी सही डायरेक्शन एवं सही जानकारी नहीं मिलने के कारण छात्र अंततः अपने प्रयासों में सफल नहीं हो पाते हैं। इसलिए हम यहाँ इस लेख में आपको ‘डॉक्टर कैसे बनें? (How to become a doctor)’ इस बारे में विस्तृत रूप से बताएंगे तथा साथ ही डॉक्टर बनने के लिए किन-किन कोर्सेज को चुना जा सकता है, इस पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे। डॉक्टर कैसे बनना है (doctor kaise bane), इसे जानने के लिए इस लेख को आगे पढ़ें।
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यूँ तो कुछ अत्यंत महत्वाकांक्षी अभिभावक तथा बच्चे मेडिकल प्रेपरेशन नवीं कक्षा से ही आरम्भ कर देते हैं लेकिन डॉक्टर बनने के लिए फोकस्ड तैयारी की शुरुआत मुख्यत: दसवीं पास करने के बाद ही होती है। ऐसे में मेडिकल प्रोफेशन में उतरने के लिए हायर सेकंडरी एजुकेशन में सही विषयों का चयन करना बहुत जरूरी है। यहाँ आपको बता दें कि आपको 11 वीं और 12 वीं कक्षा में भौतिकी, रसायन विज्ञान और अंग्रेजी के साथ जीव विज्ञान / जैव प्रौद्योगिकी का अध्ययन करना आवश्यक है।
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विषयों का चयन कर लेने के बाद जो सबसे इम्पॉर्टेन्ट स्टेप है, वह है नीट अर्थात National Eligibility cum Entrance Test (NEET) को जानना। डॉक्टर बनने का लक्ष्य रखने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को NEET परीक्षा के बारे में पता होना चाहिए कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) किसी भी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन पाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा है।
वर्ष 2020 से ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) और जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ़ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (JIPMER) में भी केवल नीट (एनईईटी) परीक्षा के माध्यम से ही यूजी मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन दिया जाएगा। इसलिए, एम्स और जिपमर अपनी अलग प्रवेश परीक्षा आयोजित नहीं करेंगे। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित नीट परीक्षा एमबीबीएस, बीडीएस और आयुष पाठ्यक्रमों - बीएचएमएस, बीएएमएस, बीएसएमएस, बीयूएमएस, बीवीएससी और एएच में प्रवेश के लिए देश की एक मात्र सबसे बड़ी स्नातक चिकित्सा प्रवेश परीक्षा है।
NEET परीक्षा साल में एक बार ऑफलाइन मोड में आयोजित की जाती है। परीक्षा में फिजिक्स से 45 प्रश्न, केमिस्ट्री से 45 प्रश्न और बायोलॉजी से 90 प्रश्न (बॉटनी से 45 और जूलॉजी से 45) पूछे जाते हैं। केमिस्ट्री और फिजिक्स के हिस्से में 180 अंक हैं, जबकि बायोलॉजी खंड 360 अंकों का होता है। प्रत्येक सही उत्तर के लिए, 4 अंक आवंटित किए जाते हैं और प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 1 अंक काट लिया जाता है।
डॉक्टर बनने की प्रक्रिया में नीट काउंसलिंग में भाग लेना सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है। नीट काउंसलिंग दो स्तरों (ऑल इंडिया और राज्यवार) पर आयोजित की जाती है। एनईईटी (NEET) ऑल इंडिया काउंसलिंग देश के सभी सरकारी कॉलेजों की 15% सीटों के लिए, साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अंतर्गत निर्धारित कोटे और डीम्ड विश्वविद्यालयों की 100% सीटों के लिए आयोजित की जाएगी। राज्यवार नीट काउंसलिंग शेष 85% सरकारी सीटों और साथ ही निजी कॉलेजों की 100% सीटों के लिए आयोजित की जाएगी।
नीट काउंसलिंग ऑनलाइन मोड में आयोजित की जाएगी और इसमें भाग लेने के लिए न्यूनतम आवश्यक पर्सेंटाइल प्राप्त करने वाले छात्र की अप्लाई कर पाएंगे। नीट काउंसलिंग में हिस्सा लेकर मेडिकल कॉलेज में अलॉटमेंट पाना ‘डॉक्टर कैसे बनें’ प्रोसेस (doctor banne ke liye kya karen) की अगली कड़ी है। काउंसलिंग के प्रत्येक दौर के बाद, सीट आवंटन परिणाम घोषित किए जाएंगे और एक बार सीट आवंटित हो जाने के बाद, एडमिशन की औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए नामित कॉलेज में रिपोर्ट करना होगा।
डॉक्टर बनने के लिए, आपको इस बात का अवश्य ज्ञान होना चाहिए कि NEET परीक्षा के माध्यम से कौन-कौन से कोर्स ऑफर किए जाते हैं। हमने नीट के माध्यम से ऑफर किये जाने वाले कोर्सेज की सूची नीचे दी रखी है। यह सूची 'डॉक्टर कैसे बनें' इस प्रश्न का एक और उत्तर प्रदान करेगी।
एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन, बैचलर ऑफ सर्जरी)
बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी)
बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी)
बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी)
बीएसएमएस (बैचलर ऑफ सिद्धा मेडिसिन एंड सर्जरी)
बीवीएससी एंड एएच (बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंसेज एंड एनिमल हस्बैंड्री)
एमबीबीएस, बीडीएस, बीएएमएस, बीयूएमएस, बीएससी नर्सिंग और अन्य संबद्ध कोर्स का फुल फॉर्म
NEET परीक्षा के माध्यम से MBBS कोर्स में एडमिशन पाने के लिए, अत्यधिक कठिन प्रयास करने की आवश्यकता होगी क्यूंकि इसके लिए प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक होती है और ध्यान रहे कि एमबीबीएस कोर्स के लिए कटऑफ भी काफी अधिक रहता है। नीट परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन कर, अगर आप एमबीबीएस कोर्स के लिए निर्धारित कटऑफ को प्राप्त कर लेते हैं, तो डॉक्टर बनने की आपकी राह आसान हो जाएगी और आप अपनी कटऑफ के अनुसार अपनी पसंद के मेडिकल कॉलेज में एनरॉलमेंट भी प्राप्त कर लेंगे।
एमबीबीएस कोर्स की कुल अवधि साढ़े पांच साल है, इसके अलावा इसमें एक साल की इंटर्नशिप भी करनी पड़ती है। इंटर्नशिप में छात्रों को कई सारी गतिविधियों में शामिल किया जाता है। स्टैण्डर्ड क्लीनिकल केयर के अलावा, इसमें छात्रों को वार्ड मैनेजमेंट, स्टाफ मैनेजमेंट एवं काउंसलिंग स्किल्स आदि के बारे में गहनता से सिखाया जाता है। एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेते समय एमबीबीएस कोर्स फीस (MBBS Course Fees) की जानकारी रखना भी बहुत जरूरी है। कोर्स पूरा करने के बाद, आप NEET-PG परीक्षा के माध्यम से स्पेशलाइजेशन के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं।
एमबीबीएस के बाद विशेषज्ञता हासिल करना आज समय की जरूरत बन गई है क्योंकि मामूली बीमारियों के इलाज के लिए एक्सपर्ट्स की सलाह लेने का चलन बढ़ रहा है। आजकल बीमारियों के प्रकार भी बदल रहे हैं इसलिए किसी ख़ास फील्ड में स्पेशलाइजेशन हासिल करना कैंडिडेट्स को काफी मदद कर सकते हैं। स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की सैलरी भी अच्छी खासी होती है। एमबीबीएस के बाद स्पेशलाइजेशन (Specialisation after MBBS) करना डॉक्टर्स के कैरियर को बेहतरीन बना सकता है।
स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनने के लिए आपको पोस्टग्रेजुएशन करना पड़ेगा। भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 2016 के सेक्शन 10 (D) के अनुसार, एम्स, नई दिल्ली; जिपमर, पुडुचेरी; PGIMER, चंडीगढ़; द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा, NIMHANS, बेंगलुरु; और श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, त्रिवेंद्रम के अलावा NEET-PG विभिन्न एमडी / एमएस, पीजी डिप्लोमा और डीएनबी सीईटी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली एक एकल पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (eligibility-cum-entrance examination) है। एमबीबीएस के बाद विशेषज्ञता चुनने से पहले, उम्मीदवारों को यह तय करना चाहिए कि उन्हें कौन-सी स्नातकोत्तर चिकित्सा की डिग्री लेनी है। व्यापक विशिष्टताओं के लिए स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा में एमडी, एमएस, पीजी डिप्लोमा और डीएनबी जैसे पाठ्यक्रम शामिल हैं।
डेंटिस्ट बनने के लिए छात्रों को बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) कोर्स करना चाहिए। बीडीएस (BDS) डेंटल साइंसेज में डिग्री प्रदान करता है। बीडीएस कोर्स की कुल अवधि चार साल की होती है, इसके अलावा इसमें एक साल की इंटर्नशिप भी करनी पड़ती है। इसके माध्यम से छात्र सर्जिकल ट्रीटमेंट, डेंटल एनॉटमी, पेडोडॉन्टिक्स, ओरल मेडिसिन और कम्युनिटी डेंटिस्ट्री आदि के बारे में गहराई से पढ़ सकते हैं। BDS के बाद, आप NEET-PG परीक्षा के माध्यम से MDS के लिए जाना चुन सकते हैं। एमडीएस (Master of Dental Surgery) एक पोस्टग्रेजुएट डेंटिस्ट्री कोर्स है।
आयुर्वेद में डॉक्टर बनने के लिए आप NEET-UG परीक्षा के माध्यम से BAMS कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। यह कोर्स कई सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी कॉलेजों में ऑफर किया जाता है। इसकी कुल अवधि साढ़े पांच साल है जिसमें एक साल की इंटर्नशिप भी शामिल है। बीएएमएस कोर्स व्यापक व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा में वैज्ञानिक प्रगति के साथ 'अष्टांग आयुर्वेद' के बारे में संपूर्ण ज्ञान प्रदान करता है। आयुर्वेदिक दवाओं के विशाल बाजार और आयुर्वेद के प्रति लोगों के झुकाव को देखते हुए, BAMS पाठ्यक्रम आपको एक लोकप्रिय चिकित्सक बनने में मदद कर सकता है। BAMS की डिग्री पूरी होने के बाद, छात्र को 'आयुर्वेदाचार्य' की उपाधि से दी जाएगी।
बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी) भारत में होम्योपैथिक शिक्षा में प्रदान की जाने वाली स्नातक की डिग्री है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी (CCIH) द्वारा बीएचएमएस में एडमिशन की प्रक्रिया को रेगुलेट किया जाता है। BHMS की कोर्स अवधि साढ़े पांच साल की है जिसमें एक साल का इंटर्नशिप भी शामिल है। बीएचएमएस में, छात्र होम्योपैथी चिकित्सा और सर्जरी पर ज्ञान प्राप्त करता है।
यद्यपि विश्व स्तर पर एलोपैथिक दवा को ज्यादा महत्व मिलता है लेकिन होम्योपैथिक दवा को कई प्रकार की कष्टकारी बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण माना जाता है। इसलिए होम्योपैथिक डॉक्टर बनना आपके कैरियर को ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। डॉ डीवाई पाटिल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, पिंपरी, पुणे की डॉ रीता संगतानी के अनुसार, “बीएचएमएस के बाद पोस्ट-ग्रेजुएशन कर लेने से इस क्षेत्र में तरक्की के अनेकों दरवाजे खुल सकते हैं। पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद, विभिन्न कॉलेजों में पढ़ाने के लिए जा सकते हैं क्योंकि मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने के लिए न्यूनतम योग्यता पोस्ट-ग्रेजुएशन है। आप पीएचडी के लिए अप्लाई कर सकते हैं और होम्योपैथी फील्ड में एक नया मुकाम छू सकते हैं।”
मेडिकल फील्ड में अपना करियर बनाने के इच्छुक मेडिकल विद्यार्थी बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी) कर सकते हैं और यूनानी डॉक्टर बन सकते हैं। BUMS यूनानी चिकित्सा और शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में ऑफर की जाने वाली एक अंडरग्रेजुएट मेडिकल डिग्री है। बीयूएमएस कोर्स की समयावधि साढ़े पांच साल की है, जिसमें 4.5 साल शैक्षणिक सत्र और एक साल की अनिवार्य रोटेटरी इंटर्नशिप होती है। इस प्रोग्राम के तहत एनॉटमी, टॉक्सिकोलॉजी, योग, फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी आदि जैसे उन विभिन्न सब्जेक्ट्स को पढ़ाया जाता है, जिन्होंने हाल के दिनों में लोकप्रियता हासिल की है।
बीयूएमएस की अंडरग्रेजुएट डिग्री करने के बाद छात्र पोस्ट ग्रेजुएट के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। चूंकि उन्हें डॉक्टर (हाकिम) की डिग्री मिलती है, इसलिए वे राज्य और केंद्र सरकार के अस्पतालों जैसे सीजीएचएस, एमसीडी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, डिस्पेंसरियों में चिकित्सा अधिकारियों के रूप में नियुक्त हो सकते हैं। इसके अलावा, वे अपने निजी क्लिनिक, पॉलीक्लिनिक्स या नर्सिंग होम में मेडिकल प्रैक्टिशनर्स भी बन सकते हैं।
बीवीएससी एंड एएच की फुल फॉर्म बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस एंड एनिमल हस्बैंड्री होती है। यह पांच साल का एक अंडरग्रेजुएट कोर्स है। इस कोर्स में पढ़ाई के दौरान, छात्रों को थ्योरी और लेक्चर-आधारित कक्षाओं के अलावा प्रैक्टिकल का अनुभव भी मिलता है, जिसको पूरा करने के बाद उन्हें पशु चिकित्सक या जानवरों के डॉक्टर की पदवी मिल जाती है। इस कोर्स की अवधि साढ़े 5 साल की होती है, जिसमें अंतिम 6 महीने इंटर्नशिप के लिए रिजर्व होते हैं। बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस पशुओं की बीमारियों के मेडिकल डायग्नोस्टिक्स और उनके उपचार से संबंधित है।
बीवीएससी एंड एएच कोर्स का स्कोप काफी अधिक है और इस कोर्स को करने के बाद सरकारी नौकरी पाने की संभावना काफी अधिक रहती है। बीवीएससी एंड एएच की डिग्री के बाद अपना पशु चिकित्सा क्लीनिक भी शुरू किया जा सकता है और साथ ही नई दवाओं को विकसित करने के लिए रिसर्च सेंटर्स के साथ काम भी कर सकते हैं।
बीएसएमएस (बैचलर ऑफ सिद्धा मेडिसिन एंड सर्जरी) सिद्धा सिस्टम ऑफ मेडिसिन का अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम है। जो AYUSH (Ayurvedha, Yoga and Naturopathy, Unani, Siddha and Homeopathy) में सबसे प्राचीन है। जो छात्र डॉक्टर बनने की ख्वाहिश तो रखते हैं, लेकिन एमबीबीएस या बीडीएस सीट प्राप्त नहीं कर पाते हैं, उनके लिए बीएसएमएस 'डॉक्टर बनने का' एक अच्छा मौका लेकर आता है। भारत में BSMS कोर्स की अवधि 5.5 वर्ष है, जिसमें साढ़े 4 वर्ष की क्लासरूम स्टडी होती है जबकि अंतिम 1 वर्ष में कम्पल्सरी इंटर्नशिप की जाती है। बीएसएमएस कोर्स के पाठ्यक्रम में बायो-केमिस्ट्री, मेडिसिनल बॉटनी, माइक्रोबायोलॉजी, एनॉटमी, सिद्धा पैथोलॉजी, फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी आदि की पढ़ाई कराई जाती है। बीएसएमएस कोर्स करने के बाद छात्र अपने नाम के आगे 'डॉक्टर' की सम्मानित पदवी का प्रयोग कर सकते हैं।
वेतन कौशल और अनुभव के आधार पर भिन्न होता है। नियोक्ता, कार्य अनुभव वाले उम्मीदवारों को नियुक्त करना पसंद करते हैं। इसलिए, इंटर्नशिप पूरा करने वाले उम्मीदवार नौकरी पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। M.B.B.S के नए स्नातकों को दिया जाने वाला औसत वेतन कार्यक्रम के अनुसार 500,000 रुपये से 1,200,000 रुपये तक प्रति वर्ष है।
एमडी कार्यक्रम के लिए शुल्क चुने गए संस्थानों और विशेषज्ञता के आधार पर भिन्न होता है। सरकारी कॉलेज किफायती फीस लेते हैं तो वहीं प्राइवेट कॉलेज मोटी फीस वसूलते हैं। कार्डियोलॉजी कार्यक्रम में एमडी के लिए औसत शुल्क 42,000 रुपये से 1,200,000 रुपये प्रति वर्ष हो सकता है।
एम.एस. कार्यक्रम एक स्नातकोत्तर स्तर का क्लिनिकल डिग्री प्रोग्राम है जो रोगियों की शल्य चिकित्सा देखभाल में माहिर है। दूसरी ओर, एमडी कार्यक्रम एक स्नातकोत्तर स्तर का नैदानिक कार्यक्रम है जो रोगियों के गैर-सर्जिकल उपचार में माहिर है। कई शाखाएँ हैं जहाँ सर्जरी को एम.डी. कार्यक्रम के एक भाग के रूप में अनुकूलित किया जाता है।
शुल्क संस्थानों के अनुसार भिन्न होता है। सरकारी कॉलेज किफायती शुल्क राशि लेते हैं। वहीं दूसरी ओर निजी कॉलेज में फीस अधिक होती हैं। एक M.B.B.S कार्यक्रम की अवधि साढ़े पांच साल का होता है जिसमें रोटेशनल इंटर्नशिप शामिल है। कार्यक्रम का औसत शुल्क 50,000 रुपये से 500,000 रुपये प्रति वर्ष हो सकता है।
M.B.B.S., M.D., या M.S के सफल समापन के बाद मेडिकल छात्रों को रेजिडेंसी प्रोग्राम का विकल्प चुनना आवश्यक है। डॉक्टर के रूप में करियर स्थापित करने के लिए रेजीडेंसी कार्यक्रम की अवधि 2 वर्ष से 7 वर्ष तक हो सकती है। उम्मीदवारों को वरिष्ठ चिकित्सक या चिकित्सक की देखरेख में चिकित्सा या नैदानिक अभ्यास करना आवश्यक है।
किसी भी डॉक्टर का वेतन कौशल, अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर भिन्न होता है। सरकारी अस्पताल में mbbs डॉक्टर का वेतन 0.1 लाख रुपये से 51 लाख रुपये प्रति वर्ष के बीच होता है।
डॉक्टर के रूप में करियर विकसित करने के लिए, उम्मीदवारों को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से कुल 50 प्रतिशत अंकों के साथ भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान में 10 + 2 पूरा करना आवश्यक है। इसके अलावा, वे NEET और AIIMS UG प्रवेश परीक्षा में उपस्थित हो सकते हैं। प्रवेश परीक्षा में उम्मीदवारों के प्रदर्शन के मूल्यांकन के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश प्रदान किया जाता है। 10 + 2 के सफल समापन के बाद उम्मीदवारों को M.B.B.S कार्यक्रम का विकल्प चुनना आवश्यक है।
एक निश्चित क्षेत्र में विशेषज्ञता और उपचार के तरीके के आधार पर कई प्रकार के डॉक्टर होते हैं। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में डॉक्टर के करियर के विकल्प सीमित नहीं हैं। कुछ प्रमुख प्रकार के डॉक्टर इस प्रकार हैं: कार्डियोलॉजिस्ट, पल्मोनोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, गायनेकोलॉजिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, जनरल फिजिशियन, ऑर्थोपेडिक सर्जन, रुमेटोलॉजिस्ट।
Counselling Date:20 September,2024 - 17 November,2024
Exam Date:08 December,2024 - 08 December,2024
Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.
A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.
A veterinary doctor is a professional, working in animal healthcare. He or she conducts medical examinations, diagnoses, and treats various illnesses of animals. Animals have distinct internal organs and functions, requiring specialised attention from a veterinary doctor. A doctor who treats humans cannot offer the same level of care to animals due to these variations. Therefore, a veterinary doctor plays a critical role in animal welfare.
Veterinary professionals prevent illness by providing vaccines and offering advice on animal nutrition and overall health. Their knowledge extends beyond household animals and includes livestock, wildlife, and exotic animals. Individuals who love animals and want to treat their illnesses, injuries, and diseases must opt for a career as a veterinary doctor.
Speech therapists are essential medical professionals addressing speech disorders. Whether it's delayed speech in children or difficulties in pronunciation, these experts play a crucial role. This article explores how to become a speech therapist in India, covering courses, colleges, and the responsibilities of this impactful profession.
Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth.
The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.
An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.
Are you searching for an ‘Anatomist job description’? An Anatomist is a research professional who applies the laws of biological science to determine the ability of bodies of various living organisms including animals and humans to regenerate the damaged or destroyed organs. If you want to know what does an anatomist do, then read the entire article, where we will answer all your questions.
A Narcotics Officer is an officer employed by the state to investigate the usage of drugs and their trafficking. A narcotics officer conducts undercover operations, investigates suspected drug dealers, executes raids and other appropriate actions for arresting these traffickers to reduce the circulation of drugs in the country.
A narcotics officer works in collaboration with other government agencies to stop drug trafficking at borders. He or she engages with various NGOs and public organisations to teach people about the dangerous effects of drug usage. A narcotics officer plays an important role in reducing the illegal activities of drug dealers and the circulation of drugs in the nation.
If we talk about a career as a research associate, it all comes down to one thing - curiosity towards nature and the passion to find answers. A career as a research associate is full of thrill and excitement. However, a research associate also faces a lot of challenges and failures while working on a project. A job of a research associate includes a spectrum of Science as a subject in detail.
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A Biotechnologist is a professional who possesses strong knowledge and techniques that are utilised in creating and developing innovative products that improve the quality of human life standards. A biochemist uses biological organisms to create and improve goods and procedures for agriculture, medicine, and sustainability. He or she researches the genetic, chemical, and physical characteristics of cells, tissues, and organisms to determine how they can be used industrially.
A career as R&D Personnel requires researching, planning, and implementing new programs and protocols into their organization and overseeing new products’ development. He or she uses his or her creative abilities to improve the existing products as per the requirements of the target market.