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जिपमर एमबीबीएस 2019 टॉपर इंटरव्यू: जिपमर जैसी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में टॉप करने के बाद हममें से अधिकतर लोग अति उत्साहित हो जाते हैं लेकिन जिपमेर एमबीबीएस 2019 में एआईआर 1 पाने वाले अरुणान्गशु भट्टाचार्य इस मामले में बहुत अलग हैं। इतनी बड़ी सफलता के बाद भी वह बहुत शांत दिखाई देते हैं और किसी दार्शनिक की भाँति ही वह कहते हैं कि ये आगे आने वाली मंजिलों की ओर बढाए गए चंद कदम भर हैं। दिलचस्प बात यह है कि अरुणान्गशु ने नीट 2019 में भी एआईआर 19 प्राप्त की है। मूलतः गुजरात के सूरत शहर में रहने वाले अरुणान्गशु उन उम्मीदवारों के बारे में भी अपनी राय रखते हैं जिन्होंने परीक्षा से कुछ दिनों पहले रात भर जागकर बहुत अधिक पढ़ाई की। उनका कहना है कि नींद और आराम का त्याग करना एक दुष्चक्र पैदा कर सकता है और जो सफलता के लिए बिल्कुल भी अनुकूल नहीं है। इसके बजाय वह सुझाव देते हैं हरेक उम्मीदवार को उचित आराम, स्वस्थ भोजन और अपने पैशन का पालन करना चाहिए।
जिपमर एमबीबीएस 2019 टॉपर अरुणान्गशु भट्टाचार्य द्वारा दिया गया पूरा इंटरव्यू पढ़ें, और इस होनहार छात्र द्वारा दिए गए ज्ञान के अन्य मोतियों को भी जाने!
Careers360: जिपमर 2019 में एआईआर 1 पाने के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई! कैसा महसूस कर रहे हैं आप, विशेष रूप से तब जब आप नीट 2019 में एआईआर 19 पाकर टॉप रैंक के बहुत करीब पहुंच गए?
अरुणान्गशु: यह बहुत अच्छा अनुभव है और बहुत अधिक अप्रत्याशित भी। मुझे एलन में मेरे शिक्षक की माध्यम से इस खबर के बारे में तब पता चला, जब उन्होंने हमें कैब में रहते हुए बुलाया था। मुझे एलन के अपने शिक्षक के द्वारा की गई कॉल के माध्यम से यह खबर तब मिली जब हम कैब में थे। इंटरनेशनल बायोलॉजी ओलंपियाड (IBO) के परिणाम भी उसी दिन घोषित किये गए थे और मैं सेगेड, हंगरी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने को लेकर वास्तव में उत्साहित था और इसलिए जब मुझे जिपमर के बारे में खबर मिली तो सचमुच मेरे पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।
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Careers360: क्या आप शीर्ष स्थान पाने की उम्मीद कर रहे थे? और इसको लेकर आपके घर पर क्या प्रतिक्रिया दी गई?
अरुणान्गशु: मुझे परीक्षा देने के बाद यह अहसास जरूर हुआ था कि मैंने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन मैं एआईआर 1 पाऊंगा ये पूरी तरह से अप्रत्याशित था। जैसा कि मैंने बताया, कि जब यह खबर हमारे पास पहुंची तब मैं और मेरे माता-पिता कैब में थे और मुंबई में भारी ट्रैफिक में फंसे थे। जिस क्षण हमें इसके बारे में बताया गया, ट्रैफ़िक से जुड़ी बोरियत उत्साह और आनंद में तब्दील हो गई।
Careers360: आप JIPMER में आपकी सफलता या NEET में आपके प्रदर्शन में से किसे ऊंचा दर्जा देंगे?
अरुणान्गशु: मैं नीट में अपनी सफलता को एक पायदान अधिक ऊपर रखूंगा क्योंकि पिछले 2 वर्षों में मेरी तैयारी ज्यादातर नीट पर आधारित थी, हालांकि मैंने नीट में शीर्ष रैंक हासिल नहीं की जैसे कि मैंने जिपमर में पाई है। लेकिन नीट में आत्म-संतुष्टि बहुत अधिक थी और अंततः वही मायने रखती है।
Careers360: आपके कुल और विषयवार अंक क्या हैं?
अरुणान्गशु: जिपमर में, अंक और अंक वितरण सीधे उम्मीदवार को नहीं बताया जाता है। गलत उत्तरों की संख्या दर्शाई गई थी (मेरे मामले में 20) और मुझे याद है कि मैंने परीक्षा में 2 प्रश्न छोड़ दिए थे, इसलिए मेरे अंक 692/800 हो सकते हैं। मेरा पर्सेंटाइल 99.9986761 था।
Careers360: आपको करियर के रूप में मेडिसिन को चुनने की प्रेरणा कहाँ से मिली?
अरुणान्गशु: मानव शरीर के बारे में फिजियोलॉजी की अत्यधिक व्यापकता और रहस्यमयता अभी भी विद्यमान है जिसकी वजह से ही मेडिसिन के प्रति मुझमें आकर्षण पैदा हुआ। मेरा शोध के प्रति विशेष रूप से ऑन्कोलॉजी और स्टेम सेल तकनीक में अधिक झुकाव है। जिसे मैं एक नियमित डॉक्टर होने के साथ-साथ आगे बढ़ाना पसंद करूंगा।
Careers360: हमें अपनी पृष्ठभूमि - स्कूली शिक्षा, परिवार, जन्म स्थान आदि के बारे में कुछ बताएं।
अरुणान्गशु: मेरा जन्म गुवाहाटी, असम में हुआ था और जब मैं 3 महीने का था, तब मैं गुजरात के सूरत शहर में आ गया था, क्यूंकि मेरे माता-पिता पहले से ही वहाँ काम कर रहे थे। मेरे पिता समरजीत भट्टाचार्य एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और मेरी माँ अपराजिता भट्टाचार्य एक केमिकल इंजीनियर हैं और दोनों ही रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) में कार्यरत हैं। मैंने 10 वीं कक्षा तक अपनी स्कूली शिक्षा जे.एच. अंबानी सरस्वती विद्यामंदिर, सूरत से और अपनी उच्च माध्यमिक शिक्षा डीडीपीएस कोटा से पूरी की।
Careers360: आपकी यात्रा में आपके परिवार ने आपका सहयोग कैसे किया?
अरुणान्गशु: मैंने अपने माता-पिता द्वारा प्रदान किए गए व्यापक भावनात्मक समर्थन के बारे में पहले हुए इंटरव्यू में उल्लेख किया था, जिसमें मैं यह जोड़ना चाहूंगा कि कोटा में वातावरण अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है; यहाँ हर हफ्ते एक परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें हजारों की संख्या में छात्र बैठते हैं। इस पूरी यात्रा में बहुत से उतार-चढ़ाव आते हैं जिनपर किशोरावस्था का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। ऐसे समय में है परिवार का समर्थन बहुत मायने रखता है, खासकर मेरे दिमाग को चयन या रैंक के दबाव से मुक्त रखने में।
Careers360: क्या आपने एम्स परीक्षा भी दी है? जिपमर और नीट 2019 की सफलता को देखते हुए, क्या उम्मीद कर रहे हैं?
अरुणान्गशु: मैं निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकता, क्योंकि एम्स की परीक्षा 4 पालियों में आयोजित की जाती है और बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी पाली में हमारे साथ और कौन परीक्षा दे रहा है। यही वजह है कि मैंने अपनी अपेक्षाएँ कम से कम रखी हैं, इसलिए चाहे सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम आए, मैं इसे स्वीकार कर सकता हूं और आगे बढ़ सकता हूं।
Careers360: हमें जिपमर 2019 की अपनी तैयारी के बारे में बताएं और यह भी बताएं कि बोर्ड परीक्षा और अन्य मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के साथ आपने इसे कैसे संतुलित किया?
अरुणान्गशु: सच कहूं तो, मैंने JIPMER के लिए अलग से तैयारी नहीं की और NEET एवं AIIMS की तैयारी के दौरान प्राप्त किये गए अपने ज्ञान का ही इस्तेमाल किया। प्रश्न का अगला भाग वास्तव में महत्वपूर्ण है क्योंकि बोर्ड और प्रवेश परीक्षा में संतुलन वास्तव में बहुत जरूरी है। पहली बात ये कि, पहले ही दिन से बोर्ड को उपेक्षित नहीं किया जाना चाहिए, क्यूंकि भले ही हम बोर्ड से कुछ दिन पहले अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करें, लेकिन फिर भी हम कभी भी वे अंक प्राप्त नहीं कर सकते हैं जिनके हम वास्तव में हकदार हैं। दूसरी बात यह कि भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान का पाठ्यक्रम समान है, केवल प्रश्नों के उत्तर देने के तरीके और प्रश्नों की गहराई में अंतर है। इसलिए मेरी व्यक्तिगत राय है कि किसी विशेष चैप्टर का अध्ययन करते समय उसका प्रवेश परीक्षा या बोर्ड से संबंधित हिस्से के रूप में विभाजन नहीं करना चाहिए जबकि उस सब्जेक्ट का सार पाने का प्रयास करना चाहिए। जबकि प्रश्नों का अभ्यास करते समय किसी बोर्ड या प्रवेश परीक्षा के बारे में उन्मुख होकर सोचना चाहिए।
Careers360: क्या आपने कोई कोचिंग या किसी प्रकार की मदद ली? यह कितना फायदेमंद साबित हुई?
अरुणान्गशु: जी हाँ, मैंने एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट, कोटा से कोचिंग ली। मेरे लिए, यह वास्तव में बहुत अधिक फायदेमंद थी क्योंकि इससे मुझे राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतिस्पर्धा का सामना करने में सहायता मिली। हालांकि मुझे लगता है कि कई छात्रों के लिए पूरा कोचिंग अनुभव काफी दवाबपूर्ण हो सकता है। मैं 8 वीं कक्षा से ही एलन के साथ जुड़ा हुआ था जिससे कोटा के जीवन का मैं आसानी से अभ्यस्त हो गया था, लेकिन सभी के लिए यह एक जैसा नहीं हो सकता है। मेरा निश्चित रूप से यह मानना है कि कोचिंग एसटीईएम विषयों में किसी की भी रचनात्मकता को बढ़ाने में मदद करती है क्यूंकि फैकल्टी और साथी छात्रों के बीच विचार-विमर्श का स्तर बहुत अच्छा होता है जो अक्सर स्कूल के माहौल में संभव नहीं हो पाता है। भले ही यह प्रवेश परीक्षा में मदद करे या नहीं लेकिन निश्चित रूप से आगे के जीवन में फलदायी साबित होता है।
Careers360: आपने कोचिंग के अलावा सेल्फ-स्टडी के लिए कितना समय दिया?
अरुणान्गशु: स्कूल के बाद, मैं लगभग 5-6 घंटों के लिए कोचिंग क्लासेस अटैंड करता था, जहाँ मैंने ज्यादा से ज्यादा सीखने की कोशिश की। घर आने के बाद, मैं आधे घंटे से कम समय में पूरे दिन में पढ़ी जानकारी को रिवाइज करता था और फिर या तो प्रश्नों का अभ्यास करता था या किसी अन्य सामग्री का अध्ययन करता था। एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात, जिसका मैं कड़ाई से पालन करता था, वह यह थी कि बेहतर और स्मार्ट तरीके से किया गया कार्य हमेशा अनियोजित रूप से की गई कड़ी मेहनत को पीछे छोड़ देता है। यही कारण है कि मैंने कभी भी नींद या भोजन से समझौता नहीं कर सकता, भले ही किसी दिन व्यस्तता के कारण मैंने पढ़ाई के लिए केवल 2 घंटे ही क्यूँ न दिए हों। मैं उन दो घंटे को ही सबसे प्रभावी बनाने का प्रयास करूंगा।
Careers360: परीक्षा के दिन आपकी क्या रणनीति थी- जैसे समय का आवंटन, खंड-वार प्राथमिकता तय करना, आदि?
अरुणान्गशु: मैंने नीट की अपनी रणनीतियों के बारे में पहले ही बात की है। JIPMER में 200 प्रश्न होते हैं, जिन्हें मात्र 150 मिनट के भीतर हल करने का प्रयास किया जाता है। यहाँ उचित समय प्रबंधन की आवश्यकता होती है। बायोलॉजी के प्रश्नों का स्तर अन्य प्रवेश परीक्षाओं की तुलना में काफी अधिक होता है, इसलिए इसके लिए उचित समय आवंटित किया जाना चाहिए। जिपमर की केमिस्ट्री और फिजिक्स से हमेशा से काफी सीधे प्रश्न पूछे जाते हैं और जिपमर के बारे में कोटा में एक लोकप्रिय कहावत प्रचलित थी जिसके अनुसार इसमें फिजिक्स और केमिस्ट्री के रटने वाले प्रश्न बहुत अधिक संख्या में पूछे जाते हैं लेकिन मैंने परीक्षा के दिन मैंने इस कहावत को सही नहीं पाया। नीट के लिए बनाई गईं रणनीतियाँ जिपमर के लिए पूर्णतः उचित हैं बस प्रश्नों को हल करने में तेजी चाहिए होती है। एमएटी और अंग्रेजी व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित थी, जिसके लिए कोई पूर्व तैयारी की आवश्यकता नहीं है।
Careers360: आप जिपमर 2019 के सेक्शन-वाइज और ओवरऑल कठिनाई स्तर का मूल्यांकन कैसे करेंगे? इसके अलावा, एम्स एमबीबीएस 2019 और नीट 2019 के मुकाबले जिपमर का स्तर कितना मुश्किल था?
अरुणान्गशु: जिपमर का कठिनाई स्तर नीट और एम्स के लगभग मध्य में आता है, इन तीनों में एम्स सबसे कठिन है। सेक्शन वाइज, बायोलॉजी सबसे अधिक कठिन था इसके बाद फिजिक्स और केमिस्ट्री का स्थान था।
Careers360: आपने अपने मजबूत और कमजोर पक्षों का सामना कैसे किया?
अरुणान्गशु: मेरा मानना है कि कभी भी अपने मजबूत विषयों को नहीं छोड़ना चाहिए, जबकि अपने कमजोर विषय को मजबूत करने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा करने से पहले मैंने उनके प्रति अपने डर को समाप्त किया। उदाहरण के लिए, फिजिक्स में मुझे वेव ऑप्टिक्स का डर था, जबकि यह कई लोगों के लिए बहुत आसान था। मैंने सबसे पहले बड़े पैमाने पर इसके आसान प्रश्नों को हल किया और धीरे-धीरे कठिन प्रश्नों की तरफ बढ़ा और इस प्रकार इसके प्रति में मेरा आत्मविश्वास बढ़ता गया। मेरा सामान्य विश्वास बायोलॉजी के प्रत्येक टॉपिक और केमिस्ट्री के रटने वाले भाग को हर 10 दिनों में कम से कम एक बार रिवाइज करना था। इससे मुझे सब्जेक्ट पर कमांड बनाए रखने में मदद मिली।
Careers360: आपकी हॉबीज क्या हैं? क्या आप तैयारी के दौरान भी उनके लिए समय निकाल पाते थे?
अरुणान्गशु: मुझे वास्तव में किताबें पढ़ने का शौक है, खासकर नॉन-फिक्शन राजनीतिक पुस्तकें। हालाँकि मैं अपनी पुस्तकों को कोटा नहीं ले जा सका, लेकिन मैंने नियमित रूप से इंडियन एक्सप्रेस के हर एक पेज को पढ़ा। रविवार को मुझे अपने दोस्तों से विभिन्न समाचार पत्र मिलते थे और मैं उनके संपादकीय पढ़ता था। राजनीति वास्तव में मुझे रोमांचित करती है और मैंने इसे कभी नहीं छोड़ा, हालांकि निश्चित रूप से इस पर बहुत अधिक समय बर्बाद करने से खुद को नियंत्रित किया।
Careers360: इस सफलता के लिए आप किन फैक्टर्स को जिम्मेदार मानेंगे?
अरुणान्गशु: जीवन के सफर में, कई मील के पत्थर पाने हैं, जिनमें से प्रत्येक में अलग-अलग लोग आपके साथ होते हैं लेकिन जो हमेशा साथ रहते हैं वो हमारे माता-पिता हैं। मेरे माता-पिता की मेरी इस उपलब्धि में उनके अटूट समर्थन और कई बलिदानों की वजह से बड़ी भूमिका है, जिस पर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता है, लेकिन यह हमेशा कायम रहता है। मेरा कोचिंग इंस्टीट्यूट भी प्रशंसा का पात्र है। मेरे शिक्षकों में से एक, डॉ परवेज खान का उल्लेख भी जरूरी है, क्योंकि उन्होंने कोटा में मेरी यात्रा के दौरान मेरा हर उतार चढ़ाव के समय बहुत सहयोग किया और हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। मेरे हॉस्टल के दोस्त भी एक बहुत महत्वपूर्ण कारण थे जिनकी वजह से मैं अच्छी रैंक हासिल करने में कामयाब रहा।
Careers360: प्रवेश के लिए आपके मन में कोई विशेष कॉलेज?
अरुणान्गशु: अगर मुझे एम्स दिल्ली मिलता है, तो मैं निश्चित रूप से इसका चयन करूंगा। यदि नहीं, तो मैं MAMC या JIPMER के लिए जा सकता हूं।
Careers360: भविष्य के मेडिकल अभ्यर्थियों लिए कोई संदेश या सलाह?
अरुणान्गशु: स्मार्ट वर्क कड़ी मेहनत से ज्यादा मदद करता है। अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखना वास्तव में महत्वपूर्ण है। यह अभ्यर्थियों के बीच एक आम मिथक है कि रात भर जागने वाले और अपनी नींद के साथ-साथ अपने सिर्काडियन रिदम को बिगाड़ने वाले अंत में 'सफल' होते हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से प्रवेश परीक्षा में रैंक को सफलता नहीं मानता, बल्कि उन्हें एक बहुत बड़ी अकल्पनीय सफलता के रास्ते पर ले जाने वाले चंद कदम भर मानता हूँ। इसलिए स्वस्थ भोजन करना, अच्छी नींद लेना, तनाव न लेना और खुद की पसंद का पालन करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि पढ़ाई। कोई अन्य रैंकर्स की तुलना में एक पायदान ऊपर या दो कम हो सकता है, लेकिन आगे के जीवन में सफल वही होते हैं जो संतुलित जीवन जीते हैं।
On Question asked by student community
Hello
NEET SS is a national-level exam for admission to DM and MCh super-speciality medical courses.
It is conducted by the National Board of Examinations (NBE) once a year.
Only students who have completed MD/MS or DNB in the required speciality can apply.
Click on the link I am attaching below for a more detailed description, so that you can get all the updated information.
CLICK HERE: NEET SS
Hello,
To secure a NEET All India Rank (AIR) under 19,000, you generally need to score around 540-560 marks in NEET. In AIATS (Aakash All India Test Series), this usually corresponds to being consistently in the top 2,000-2,500 ranks nationally.
For more access mentioned link below:
https://medicine.careers360.com/articles/neet-2025-marks-vs-rank
Hope it helps.
Hello,
I have attached the link for Best NEET coaching institutes in India including their fees structure. Kindly check the below link and pick your desired.
https://medicine.careers360.com/articles/best-neet-coaching-institutes-in-india-with-fees-structure
I hope this helps you.
Hello,
To get into a Delhi government medical college via NEET UG, a general candidate and an EWS candidate need higher scores (often 650-700+), while OBC/SC/ST scores are lower but still competitive, with specific marks varying by college and quota (State/AIQ).
I hope it will clear your query!!
Hello,
Here are High Scoring Chapters for NEET 2026:
For more details access mentioned link below:
https://medicine.careers360.com/articles/neet-2026-high-weightage-chapters
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Ranked as India’s #1 Not for profit pvt. University by India Today | Wide Range of scholarships available
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Among top 100 Universities Globally in the Times Higher Education (THE) Interdisciplinary Science Rankings 2026
Amongst top 3% universities globally (QS Rankings) | Wide Range of scholarships available