नीट: कैसे 22,26,607 रैंक वाले 16 छात्रों ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटें हासिल कीं?
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नीट: कैसे 22,26,607 रैंक वाले 16 छात्रों ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटें हासिल कीं?

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Maheshwer PeriUpdated on 08 Aug 2025, 11:23 AM IST
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भारत में जहां तक नीट मेडिकल प्रवेश का मामला है उसमें बहुत असामान्य घटित हो रहा है। हाल ही में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है—कम से कम 16 ऐसे छात्र जो नीट यूजी परीक्षा 2024 में, क्वालिफाई भी नहीं हुए थे, फिर भी एमबीबीएस सीटें पाने में कामयाब रहे, और उनमें से कुछ को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिल गया। इससे छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों में काफी गुस्सा है और वे भ्रम की स्थिति में हैं। अब, लोग गंभीरता से सवाल उठा रहे हैं कि क्या नीट परीक्षा वाकई निष्पक्ष है? क्या प्रवेश प्रक्रिया पारदर्शी है? और क्या राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) द्वारा निर्धारित नियमों का ठीक से पालन किया जा रहा है?
नीट यूजी : 22 लाख रैंक वाले छात्र को कैसे मिली सरकारी एमबीबीएस सीट; एनएमसी का जवाब

नीट: कैसे 22,26,607 रैंक वाले 16 छात्रों ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटें हासिल कीं?
नीट: कैसे 22,26,607 रैंक वाले 16 छात्रों ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटें हासिल कीं?

नीट न्यूनतम पात्रता मानदंड (The NEET Minimum Eligibility Norms in Hindi)

भारत में किसी भी एमबीबीएस प्रोग्राम में एडमिशन के लिए पात्र होने के लिए, उम्मीदवार को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता मानदंडों को पूरा करना होता है। एडमिशन के लिए पात्र होने के लिए छात्रों को नीट यूजी कटऑफ अंक की बाधा को पार करना होता है।

श्रेणी

कट-ऑफ परसेंटाइल

क्वालिफाइंग

मार्क्स (2024)

क्वालिफाइंग

मार्क्स (2025)

सामान्य / यूआर

50वां

162

144

अन्य पिछड़ा वर्ग

40वां

127

113

अनुसूचित जाति

40वां

127

113

अनुसूचित जनजाति

40वां

127

113

सामान्य-पीएच / यूआर-पीडब्ल्यूबीडी

45वां

144

127


संबंधित श्रेणियों के लिए तय मानक से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी नीट यूजी नियमों और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार आधिकारिक तौर पर एमबीबीएस में एडमिशन के लिए अयोग्य होते हैं।

योग्य अभ्यर्थी बनाम उपलब्ध सीटें : बड़ा अंतर

नीट यूजी परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या और भारत में एमबीबीएस सीटों की उपलब्धता के बीच बहुत बड़ा अंतर है और इस अंतर को स्पष्ट देखा जा सकता है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार:

नीट यूजी 2024

नीट यूजी 2025

पंजीकृत उम्मीदवार

परीक्षा में शामिल उम्मीदवार

योग्य अभ्यर्थी

पंजीकृत उम्मीदवार

परीक्षा में शामिल उम्मीदवार

योग्य अभ्यर्थी

24,06,079

23,33,162

13,15,853

22,76,069

22,09,318

12,36,531

2024 में 13.15 लाख से ज़्यादा छात्र उत्तीर्ण हुए, जबकि उपलब्ध एमबीबीएस सीटों की कुल संख्या केवल 1,09,145 थी। इसका परिणाम यह हुआ कि 12 लाख से ज़्यादा ऐसे उम्मीदवार थे, जिन्होंने नीट तो पास कर लिया था, लेकिन उनके पास प्रतिस्पर्धा में बने रहकर एडमिशन पाने के लिए कोई सीट नहीं थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि हर सफल 12 उम्मीदवारों में से केवल लगभग 1 उम्मीदवार ही मेडिकल कॉलेज में एडमिशन पा सका।

यह स्थित 2025 में भी जारी रहेगी, जहां 12.36 लाख छात्र उत्तीर्ण हुए हैं, जबकि सीटों की संख्या में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है, जिससे प्रतिस्पर्धा और अधिक बढ़ गई है।

यह भारी विसंगति न केवल छात्रों पर दबाव पैदा करती है, बल्कि एडमिशन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़ा करती है, विशेष रूप से उन रिपोर्टों को देखते हुए जिनमें बताया गया है कि अयोग्य उम्मीदवारों को भी एमबीबीएस सीटें दे दी गईं, जिनमें से कई सीटें तो सरकारी कॉलेजों में थीं, और ऐसा करते हुए उस योग्यता-आधारित ढांचे को दरकिनार कर दिया गया, जिसे बनाए रखने के लिए नीट की परिकल्पना की गई थी।

नीट फेल, फिर भी एमबीबीएस में एडमिशन-क्या यह संभव है? वीडियो में देखें


एमबीबीएस सीटें आवंटित करने वाले एमबीबीएस कॉलेजों की सूची (एनएमसी डेटा के अनुसार)

आधिकारिक एनएमसी काउंसलिंग डेटा के अनुसार नीचे उन 16 कॉलेजों की सूची दी गई है, जिन्होंने नीट यूजी 2024 क्वालिफाई नहीं करने वाले छात्रों को भी एडमिशन दिया है - जिनमें से कई कॉलेज तो सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं :

क्रम सं.

राज्य

कॉलेज का नाम

मेरिट नं.

स्वामित्व

संस्थान का प्रकार

1

पश्चिम बंगाल

मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, मुर्शिदाबाद

15,37,570

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

2

गुजरात

जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज, वडनगर, मेहसाणा

16,24,953

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

3

कर्नाटक

रायचूर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, रायचूर

16,35,033

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

4

अरुणाचल प्रदेश

टोमो रीबा इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंसेज, नाहरलागुन

18,05,926

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

5

गुजरात

स्वामीनारायण आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान

18,25,706

प्राइवेट

अन्य - प्राइवेट

6

महाराष्ट्र

डॉ. पंजाबराव अलियास भाऊसाहेब देशमुख मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, अमरावती

18,65,485

प्राइवेट

अन्य - प्राइवेट

7

महाराष्ट्र

श्री वसंतराव नाइक सरकारी मेडिकल कॉलेज, यवतमाल

18,99,141

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

8

पश्चिम बंगाल

रामपुरहाट सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, रामपुरहाट

19,44,367

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

9

कर्नाटक

महादेवप्पा रामपुरे मेडिकल कॉलेज, कालाबुरागी (गुलबर्गा)

20,44,936

प्राइवेट

अन्य - प्राइवेट

10

ओडिशा

सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (भीमा भोई मेडिकल कॉलेज), बलांगीर

20,50,495

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

11

पश्चिम बंगाल

प्रफुल्ल चंद्र सेन सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल

20,73,481

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

12

महाराष्ट्र

श्री वसंतराव नाइक शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व रुग्णालय, यवतमाल

20,81,954

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

13

तमिलनाडु

मदुरै मेडिकल कॉलेज, मदुरै

20,84,217

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

14

कर्नाटक

नवोदय मेडिकल कॉलेज, रायचूर

21,06,407

प्राइवेट

अन्य - प्राइवेट

15

पश्चिम बंगाल

रामपुरहाट सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, रामपुरहाट

21,57,526

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

16

छत्तीसगढ

स्वर्गीय बलिराम कश्यप मेमोरियल एनडीएमसी सरकारी मेडिकल कॉलेज, जगदलपुर

22,26,607

पब्लिक

अन्य - पब्लिक

22 लाख से अधिक रैंक और 720 में से 52 (लगभग 7%) से कम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को भी बड़ी संख्या को एमबीबीएस में एडमिशन मिला है, जिनमें से कई कॉलेज तो राज्य द्वारा संचालित सरकारी कॉलेज हैं।

उदाहरण देखें : भीमा भोई मेडिकल कॉलेज, बलांगीर में एडमिशन

नीट न क्वालिफाई कर पाने वाले उम्मीदवारों को भी नीट के माध्यम से एमबीबीएस सीट मिल गई, इस दावे के समर्थन में साक्ष्य मौजूद हैं। सबसे स्पष्ट साक्ष्यों में से एक सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, बलांगीर (जिसका नाम बदलकर भीमा भोई मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कर दिया गया है) से देख सकते हैं।

कॉलेज द्वारा जारी आधिकारिक एडमिशन आंकड़ों के लिए नीचे दी गई इमेज देखें :

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इसके अनुसार सामान्य श्रेणी के छात्र को 2024 में एमबीबीएस सीट प्रदान की गई, जबकि उसने नीट में 720 में से केवल 55 अंक प्राप्त किए थे - जो कि 11% के बराबर है, जो सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित 162 अंकों की अर्हता प्राप्त करने की कट-ऑफ से काफी कम है।

छात्र का दाखिला 26 अक्टूबर 2024 को हुआ था और उसने 41,450 रुपये की फीस जमा की थी। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) द्वारा निर्धारित नीट यूजी 2024 मानदंडों के अनुसार, इतना कम स्कोर उम्मीदवार को एडमिशन के अयोग्य बनाता है।

यह मामला नीट काउंसलिंग और एडमिशन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा करता है, विशेष रूप से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जहां योग्यता को सख्ती से बरकरार रखने की अपेक्षा की जाती है।

प्रफुल्ल चंद्र सेन सरकारी मेडिकल कॉलेज में 10% नीट स्कोर के साथ एडमिशन दिया गया

प्रफुल्ल चंद्र सेन सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, पश्चिम बंगाल के आधिकारिक प्रवेश रिकॉर्ड से पता चलता है कि ओबीसी (एनसीएल) श्रेणी के एक छात्र को 2024 में एमबीबीएस कार्यक्रम में 720 में से केवल 52 अंक के साथ एडमिशन दिया गया था, जो केवल 10% के बराबर है।

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नीट यूजी 2024 पात्रता मानदंड के अनुसार, ओबीसी-एनसीएल उम्मीदवारों को कम से कम 40वें परसेंटाइल के बराबर अंक प्राप्त करने होंगे, जो 2024 में 127 अंकों के बराबर है। इस मामले में छात्र ने आवश्यक कटऑफ से काफी कम अंक प्राप्त किए, जिससे वे आधिकारिक तौर पर एडमिशन के लिए अयोग्य हो गए, लेकिन उन्हें एडमिशन मिल गया।

यह घटना उन मामलों की बढ़ती सूची में शामिल हो गई है, जिनमें कथित तौर पर नीट-अयोग्य उम्मीदवारों को एमबीबीएस कार्यक्रमों में एडमिशन दिया गया, जिससे राष्ट्रीय चिकित्सा प्रवेश ढांचे की निष्पक्षता और पारदर्शिता को खतरा पहुंचा।

केंद्रीय पूल सीटों के लिए भी नीट योग्यता अनिवार्य : आधिकारिक स्पष्टीकरण

नीट-अयोग्य उम्मीदवारों के एडमिशन को लेकर हाल ही में हुए विवाद के मद्देनजर, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के 12 अगस्त 2024 के आधिकारिक ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि केंद्रीय पूल एमबीबीएस/बीडीएस सीटें नीट पात्रता मानदंड से मुक्त नहीं हैं।

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ऊपर दी गई सूचना से यह स्पष्ट हो जाता है कि केंद्रीय पूल नामांकन के तहत चयनित उम्मीदवारों के लिए भी, नीट योग्यता अनिवार्य है। इसलिए, योग्यता परसेंटाइल (2024 में सामान्य के लिए 162 अंक, ओबीसी/एससी/एसटी के लिए 127 अंक) से कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार, चाहे उनका कोटा या श्रेणी कुछ भी हो, एडमिशन पाने के पात्र नहीं होंगे।

यह आधिकारिक दिशानिर्देश दस्तावेजों में दर्ज कई प्रवेशित उम्मीदवारों की वैधता को विरोधाभासी बताता है और उन पर सवाल उठाता है, जहाँ 10-11% से भी कम नीट स्कोर वाले छात्रों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटें दी गईं। अगर ये एडमिशन केंद्रीय पूल दावों के तहत किए गए थे, तो ये भी एनएमसी नियमों का सीधा उल्लंघन प्रतीत होते हैं।

यह सिर्फ 16 छात्रों के बारे में नहीं है — यह भविष्य के बारे में है

नीट यूजी परीक्षा पूरे भारत में मेडिकल कॉलेजों में योग्यता-आधारित, पारदर्शी और समान अवसर वाले एडमिशन सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी। लेकिन 22 लाख से ज़्यादा रैंक और 10% से भी कम स्कोर वाले छात्रों को एमबीबीएस सीटें मिलना—वह भी कई सरकारी चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में— इस व्यवस्था की गंभीर विफलता को दर्शाता है।

यह सिर्फ़ 16 छात्रों की बात नहीं है। यह उन लाखों योग्य उम्मीदवारों के भरोसे की बात है जिन्होंने नियमों का पालन किया, कड़ी मेहनत की, फिर भी उन्हें सीट नहीं मिली। अयोग्य छात्रों का व्यवस्था में सेंध लगाने में सफल रहना नीट के मूल उद्देश्य को ही नष्ट कर देता है और भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के भविष्य को नुकसान पहुंचाता है।

नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) और स्वास्थ्य मंत्रालय के बार-बार दिशा-निर्देशों के बावजूद, बुनियादी नियमों की अनदेखी की जा रही है। अगर एमबीबीएस में एडमिशन के लिए नीट क्वालिफाई होना और आवश्यक परसेंटाइल हासिल करना अब अनिवार्य नहीं है, तो फिर परीक्षा आयोजित ही क्यों की जा रही है?

अब समय आ गया है कि अधिकारी स्पष्ट जवाब दें। छात्रों और अभिभावकों को यह जानने का हक है:

  • इन प्रवेशों की अनुमति किसने दी?

  • किस कोटे या प्राधिकार के तहत एडमिशन हुआ?

  • और सबसे महत्वपूर्ण बात, नियमों के उल्लंघन पर क्या कोई कार्रवाई की जाएगी?

जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक इस मुद्दे को वही कहा जाना चाहिए जो यह है - एक राष्ट्रीय स्तर का मेडिकल प्रवेश घोटाला, जिसकी तत्काल जांच किए जाने, जवाबदेही तय करने और भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए सुधार की आवश्यकता है।

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