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कॅरियर्स360 ने 20 जुलाई को एक चौंकाने वाली अनियमितता का पर्दाफाश किया, जिसमें 16 छात्रों को नीट 2024 परीक्षा उत्तीर्ण न होने के बावजूद सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिए जाने का मामला प्रकाश में आया। यह खुलासा राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) की वेबसाइट पर प्रकाशित आधिकारिक आंकड़ों पर आधारित है और नीट प्रवेश प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल पैदा करता है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, न्यूनतम नीट योग्यता कटऑफ को पूरा न करने वाले उम्मीदवार मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के पात्र नहीं माने जाते और इसलिए किसी भी मेडिकल सीट पर प्रवेश पाने के लिए अपात्र होते हैं, फिर तो सरकारी एमबीबीएस सीट की तो बात ही छोड़ दें। फिर भी, इन 16 छात्रों को नियमों को दरकिनार करते हुए शीर्ष सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन दिया गया।
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कॅरियर्स360 द्वारा खुलासा किए जाने के बाद, एनएमसी ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। इस संबंध में विस्तार से जानने के लिए आगे पूरा लेख पढ़ें।
4 अगस्त को, एनएमसी ने nmc.org.in पर एक नोटिस जारी कर भारत में एमबीबीएस सीटों पर अयोग्य उम्मीदवारों के अनियमित एडमिशन की बात कही। एनएमएस ने बताया कि यह अनियमितता कॉलेजों द्वारा एनएमसी पोर्टल पर गलत डेटा जमा करने के कारण हुई। हालांकि, इस स्पष्टीकरण से न केवल कॉलेज पर दोष मढ़ने की बू आती है, बल्कि और भी सवाल उठते हैं।
विवाद पर एनएमसी की ओर से जारी सूचना देखें

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एनएमसी का लिपिकीय त्रुटि का दावा अमान्य प्रतीत होता है, क्योंकि यह डेटा न केवल एनएमसी पोर्टल पर, बल्कि संबंधित कॉलेजों की वेबसाइटों पर भी एडमिशन लेने वाले छात्रों की सूची में दिखाई देता है। इसके अलावा, यह सवाल अभी भी बना हुआ है: छात्रों के नीट अंक, रैंक और पर्सेंटाइल, सब एक ही समय में गलत कैसे दिखाई दे सकते हैं? इस स्पष्टीकरण के बाद जो प्रश्न उठते हैं, उनसे यह विश्वास करना कठिन हो जाता है कि यह महज एक डेटा इंट्री गलती थी।
यह जानने के लिए कि इससे संदेह क्यों पैदा होता है, हमें यह देखना होगा कि नीट प्रवेश बंद होने के बाद प्रक्रिया किस प्रकार काम करती है।
नीट 2024 एमबीबीएस रैंक पर सवाल के बाद एनएमसी का जवाब वीडियो में देखें
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प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद, कॉलेज प्रवेश सूची आमतौर पर पहला आधिकारिक रिकॉर्ड होता है जिसमें एडमिशन प्राप्त छात्रों का विवरण अंतिम रूप दिया जाता है। बाद में, इन विवरणों को सत्यापन के लिए एनएमसी पोर्टल पर भेजा जाता है और केंद्रीय डेटाबेस में दर्ज किया जाता है। इस मामले में, ये अयोग्य छात्र न केवल कॉलेज के रिकॉर्ड में दिखाई दिए, बल्कि एनएमसी की वेबसाइट पर भी दिखाई दिए।
इसका मतलब या तो यह है कि सत्यापन हुआ ही नहीं या फिर उसे नजरअंदाज कर दिया गया, वह भी दो स्तरों पर; एक कॉलेज स्तर पर और दूसरा एनएमसी स्तर पर। दोनों ही मामलों में, यह न केवल एडमिशन प्रक्रिया की शुचिता पर, बल्कि देश की सबसे कठिन प्रक्रियाओं में से एक, तथाकथित फुलप्रूफ नीट एडमिशन प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े करता है।
यह वास्तव में न केवल उन मेडिकल अभ्यर्थियों के प्रति अन्याय है, जिन्होंने एक वर्ष या उससे अधिक समय तक कड़ी मेहनत की है, बल्कि यह उस प्रणाली का भी मजाक उड़ाता है, जिसे अक्षमता से निपटने और सभी के लिए निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया था।
आम भाषा में कहें तो जिन छात्रों ने परीक्षा भी पास नहीं की, वे सरकारी कॉलेजों में दाखिल हो गए, जहां नीट में उच्च रैंक पाने वालों के लिए भी जगह पाना मुश्किल होता है। यह एडमिशन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर और सवाल खड़े करता है और इसकी विस्तृत जांच की जरूरत पर जोर देता है।
बेहतर समझ के लिए हम कुछ उदाहरण दे रहे हैं। इनके अंक और रैंक स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि इन छात्रों के नाम पर विचार ही नहीं किया जाना चाहिए था, सीट मिलना तो दूर की बात है।
उदाहरण 1: बिहार के कटिहार मेडिकल कॉलेज में प्रवेश


ये भी देखें : कटिहार मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले छात्रों की सूची
उदाहरण 2: प्रफुल्ल चंद्र सेन सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एडमिशन


ये भी देखें : प्रफुल्ल चंद्र सेन सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के एडमिशन लेने वाले छात्रों की सूची
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ये उदाहरण नीट काउंसलिंग और एडमिशन प्रक्रिया में गंभीर खामियों को दर्शाते हैं। अगर अयोग्य छात्र, जिन्होंने नीट परीक्षा भी पास नहीं की है, कॉलेज की एडमिशन लिस्ट और एनएमसी पोर्टल, दोनों पर सूचीबद्ध हो सकते हैं, जिससे उनका प्रवेश पक्का हो जाता है, तो इसका मतलब है कि व्यवस्था में न केवल कुछ गड़बड़ है, बल्कि घोर अन्याय भी है।
नीट एक निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षा मानी जाती है जहाँ हर छात्र को उसके अंकों और रैंक के आधार पर सीट दी जाती है। यह प्रवेश के सबसे कड़े नियमों वाली परीक्षा भी है ताकि अनुचित साधनों से बचा जा सके। लाखों छात्र परीक्षा पास करने और सरकारी मेडिकल सीट पाने के लिए सालों तैयारी करते हैं, घंटों पढ़ाई करते हैं और महंगी कोचिंग भी लेते हैं। जब अयोग्य छात्रों के एडमिशन में इन सब बातों की खुलेआम अवहेलना की जाती है, तो एडमिशन प्रक्रिया की पवित्रता ही सवालों के घेरे में आ जाती है।
सिर्फ़ स्पष्टीकरण देना काफ़ी नहीं है। एनएमसी को इस मुद्दे की जड़ तक पहुंचकर उचित जांच सुनिश्चित करनी चाहिए जिससे मौजूद सभी खामियों का पता लगाकर उन्हें दूर किया जा सके। लाखों मेडिकल उम्मीदवारों की उम्मीदें एनएमसी पर टिकी हैं और यह जरूरी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि व्यवस्था में उनका भरोसा और विश्वास बना रहे।
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On Question asked by student community
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Yes, if you cleared NEET and your 12th with PCB and English, especially with an MPHW vocational background, and completed a necessary bridge course, you meet the core educational criteria, making you eligible for MBBS counselling (MCC/State Quota).
I hope it will clear your query!!
Yes, MCC can reduce the NEET PG cutoff if many seats remain vacant during counselling. The decision depends on seat availability in each round. Cutoff reduction does not happen every year. Candidates should keep checking the official MCC website for updates.
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