नीट पीजी की हकीकत : शून्य, नकारात्मक अंक और 2 लाख रैंक वाले डॉक्टरों को दिया गया एडमिशन
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नीट पीजी की हकीकत : शून्य, नकारात्मक अंक और 2 लाख रैंक वाले डॉक्टरों को दिया गया एडमिशन

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Maheshwer PeriUpdated on 06 Sep 2025, 03:40 PM IST
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चिकित्सा शिक्षा में न्यूनतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई नीट पीजी परीक्षा आज सवालों और विवादों के घेरे में है। नीट पीजी 2023 और 2024 के रिजल्ट पर बारीकी से नज़र डालने पर कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं : शून्य और यहां तक कि निगेटिव मार्क्स पाने वाले छात्र भी क्वालिफाई कर दिए गए, और कुछ ने तो नीट पीजी काउंसलिंग के माध्यम से पोस्टग्रेजुएट सीटों पर एडमिशन भी पा लिया।

This Story also Contains

  1. 50वें पर्सेंटाइल से शून्य पर्सेंटाइल तक - मानक कैसे गिरता चला गया
  2. नकारात्मक और शून्य अंक वाले छात्र भी उत्तीर्ण
  3. 2 लाख से अधिक रैंक वाले छात्रों को 2023 और 2024 में भी सीटें मिली
  4. योग्यता बनाम पैसा: कौन बन रहा डॉक्टर?
नीट पीजी की हकीकत : शून्य, नकारात्मक अंक और 2 लाख रैंक वाले डॉक्टरों को दिया गया एडमिशन
नीट पीजी की हकीकत : शून्य, नकारात्मक अंक और 2 लाख रैंक वाले डॉक्टरों को दिया गया एडमिशन

800 में से शून्य अंक, यहां तक कि -40 अंक, और 2 लाख जैसी रैंक वाले उम्मीदवार नीट पीजी 2023 और 2024 में क्वालिफाई माने गए और भारत के विभिन्न पीजी मेडिकल कॉलेजों में एमडी कोर्स में सीटें हासिल कर चुके हैं। यदि लगभग सभी सवाल का गलत जवाब देने वाले उम्मीदवार डॉक्टर बन रहे हैं, तो इसका भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए क्या अर्थ लगाया जाए? क्या इसका भविष्य सुरक्षित हाथों में होगा?

50वें पर्सेंटाइल से शून्य पर्सेंटाइल तक - मानक कैसे गिरता चला गया

चिकित्सा शिक्षा के लिए जब एकल प्रवेश परीक्षा के रूप में नीट पीजी की शुरुआत की गई तो इसका उद्देश्य स्पष्ट था: न्यूनतम मानक निर्धारित करना ताकि केवल पात्र उम्मीदवार ही डॉक्टर बन सकें। क्वालिफाइंग बेंचमार्क 50वां परसेंटाइल निर्धारित किया गया।

इसका मतलब था कि अगर 2 लाख उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए, तो शीर्ष 1 लाख क्वालिफाई करेंगे और बाकी 1 लाख क्वालिफाई नहीं कर पाएंगे। यहां तक कि श्रेणी-आधारित छूट (एससी/एसटी/ओबीसी के लिए 40वां पर्सेंटाइल, पीडब्ल्यूडी के लिए 45वां पर्सेंटाइल) भी नीट पीजी मेरिट लिस्ट की स्पष्टता बनाए रखती थी।

पिछले कुछ वर्षों में यह रेखा लगातार धुंधलाती गई है। निजी और डीम्ड कॉलेजों द्वारा बहुत अधिक फीस लेने के कारण, हजारों गैर-क्लिनिकल सीटें खाली रहने लगीं। इन्हें भरने के लिए, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) और काउंसलिंग प्राधिकरणों ने नीट पीजी क्वालिफाइंग कटऑफ मानक को एकदम नीचे की ओर खींचना शुरू कर दिया।

जानें कैसे ढहते गए मानक?

मूल मानक

50वां परसेंटाइल

केवल शीर्ष 50% छात्र ही पात्र बनते

वर्ष

क्वालिफाइंग परसेंटाइल

आशय

2023

0 परसेंटाइल

सभी प्रतिभागी पात्र माने गए (नकारात्मक या शून्य अंक वाले भी)

2024

5वां परसेंटाइल

0-5 अंक वाले छात्रों को भी मिली सीटें

इस बदलाव का आशय यह निकला था कि अब यह मेरिट से तय नहीं हो रहा कि कौन डॉक्टर बनेगा और कौन नहीं – इसके बजाए केवल सभी सीटों को भरना प्राथमिकता बन गई, खासकर भारी-भरकम फीस वाले निजी कॉलेजों की।

इसका नतीजा यह हुआ कि 2023 और 2024 में, शून्य और यहां तक कि नीट पीजी में नकारात्मक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को आधिकारिक रूप से पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कोर्स के लिए क्वालिफाई घोषित किया गया।

नकारात्मक और शून्य अंक वाले छात्र भी उत्तीर्ण

नीट पीजी 2023 का से जुड़ा सबसे विवादास्पद पहलू यह रहा कि नकारात्मक या शून्य अंक पाने वाले उम्मीदवारों को भी क्वालिफाई घोषित कर दिया गया और उन्हें नीट पीजी काउंसलिंग के माध्यम से सीटें मिल गईं।

सामान्य तौर पर किसी उम्मीदवार को नकारात्मक अंक मिलने का मतलब है कि उम्मीदवार ने सही से अधिक गलत उत्तर दिए। किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में, ऐसे उम्मीदवार स्वतः अयोग्य घोषित हो जाते। लेकिन नीट पीजी 2023 में कटऑफ पर्सेंटाइल को 0 तक कम कर दिए जाने के कारण, ऐसे उम्मीदवार भी "क्वालिफाई" हो गए।

नकारात्मक अंक लेकिन योग्य

आंकड़ों से पता चलता है कि 13 छात्र, जिन्होंने नकारात्मक अंक— 800 में से -40 — तक प्राप्त किए उनको भी क्वालिफाई करने वालों की सूची में शामिल किया गया।

क्र.सं.

रैंक

परसेंटाइल

अंक

1

200517

0

-40

2

200516

0.000498711

-25

3

200515

0.000997422

-24

4

200514

0.001496132

-20

5

200513

0.001994843

-19

6

200512

0.002493554

-11

7

200511

0.002992265

-11

8

200510

0.003490976

-10

9

200509

0.003989687

-10

10

200508

0.004488397

-5

11

200507

0.004987108

-5

12

200506

0.005485819

-2

13

200505

0.00598453

-1

शून्य अंक लेकिन फिर भी योग्य

और भी चौंकाने वाली बात यह है कि 14 छात्र, जिन्होंने 800 में से ठीक 0 अंक प्राप्त किए, वे भी नीट पीजी के लिए क्वालिफाई कर गए।

क्र.सं.

रैंक

परसेंटाइल

अंक

1

200504

0.006483241

0

2

200503

0.006981952

0

3

200502

0.007480662

0

4

200501

0.007979373

0

5

200500

0.008478084

0

6

200499

0.008976795

0

7

200498

0.009475506

0

8

200497

0.009974217

0

9

200496

0.010472927

0

10

200495

0.010971638

0

11

200494

0.011470349

0

12

200493

0.01196906

0

13

200492

0.012467771

0

14

200491

0.012966482

0

इसका मतलब है कि 27 छात्र, जिन्होंने शून्य या नकारात्मक अंक प्राप्त किए, उन्हें भारत में स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने के लिए पात्र बनाया गया।

ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न यह खड़ा होता है: ऐसे उम्मीदवार जिन्होंने लगभग सभी प्रश्नों के गलत उत्तर दिए वे भी क्वालिफाई कर रहे हैं, भावी डॉक्टरों की काबिलियत के संदर्भ में इसका क्या अर्थ निकाला जाए?


2 लाख से अधिक रैंक वाले छात्रों को 2023 और 2024 में भी सीटें मिली

बात सिर्फ यह नहीं है कि शून्य या नकारात्मक अंक वाले उम्मीदवार क्वालिफाई कर गए। असल मसला तो यह है कि इनमें से कुछ ने वास्तव में मेडिकल कॉलेजों में सीटें हासिल कर लीं।

वर्ष 2023 और 2024 के काउंसलिंग राउंड में, बेहद कम अंक और पर्सेंटाइल — कभी-कभी 1 पर्सेंटाइल से भी नीचे — वाले उम्मीदवारों को भारत के विभिन्न स्नातकोत्तर मेडिकल कॉलेजों में स्नातकोत्तर चिकित्सा सीटें आवंटित हो गईं।

2023 के एडमिशन से कुछ उदाहरण देखें : आंकड़े दिखाते हैं कि 800 में से केवल 5 से लेकर 43 अंक तक लाने वाले उम्मीदवार एमडी प्रोग्राम में एडमिशन पाने में सफल रहे:

क्र.सं.

कॉलेज

कोर्स

श्रेणी

क्लोजिंग रैंक

परसेंटाइल

अंक

1

महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज और अनुसंधान संस्थान, पांडिचेरी

एमडी बायोकेमिस्ट्री

सामान्य

200401

0.0578504570

18

2

एमजीएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, नवी मुंबई

एमडी फिजियोलॉजी

सामान्य

200411

0.0528633480

16

3

श्री बी एम पाटिल मेडिकल कॉलेज, विजयपुर

एमडी सामुदायिक चिकित्सा

सामान्य

200429

0.0438865530

15

4

नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, पटना

एमडी बायोकेमिस्ट्री

अनुसूचित जनजाति

200435

0.0408942880

14

5

महर्षि मार्कंडेश्वर आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान, मुलाना

एमडी फिजियोलॉजी

सामान्य

200449

0.0339123370

11

6

विनायक मिशन के किरुपानंद वरियार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, सेलम

एमडी बायोकेमिस्ट्री

सामान्य

200455

0.0309200720

10

7

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

एमडी फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी

अन्य पिछड़ा वर्ग

200476

0.0204471440

5

8

महर्षि मार्कंडेश्वर आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान, मुलाना

एमडी फिजियोलॉजी

सामान्य

200482

0.0174548790

5

कुल मिलाकर, 2023 में 2 लाख से अधिक रैंक और 5 से 43 के बीच अंक लाने वाले 16 छात्रों को नीट पीजी सीटों पर दाखिला मिला।

2024 के एडमिशन के उदाहरण

यही रुझान 2024 में भी जारी रहा। भले ही 5वें पर्सेंटाइल को कटऑफ के तौर पर निर्धारित किया गया था बावजूद इसके 2 लाख से अधिक रैंक वाले उम्मीदवार एक बार फिर एमडी प्रोग्राम में एडमिशन पाने वालों की सूची में नजर आए:

क्र.सं.

कॉलेज का नाम

कोर्स

श्रेणी

क्लोजिंग रैंक

परसेंटाइल

1

गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज, गुवाहाटी

एमडी बायोकेमिस्ट्री

ईडब्ल्यूएस

203220

6.0055117

2

बीवीडीयू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, सांगली

एमडी फिजियोलॉजी

सामान्य

203845

5.813318

3

शासकीय मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर, कश्मीर

एमडी फिजियोलॉजी

अन्य पिछड़ा वर्ग

204416

5.4983837

4

रायचूर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, रायचूर

एमएस एनाटॉमी

सामान्य

204520

5.4044056

5

एसीएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, चेन्नई

एमडी बायोकेमिस्ट्री

सामान्य

204590

5.3687048

6

एमजीएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, नवी मुंबई

एमडी एनाटॉमी

सामान्य

204695

5.3687048

7

श्री देवराज यूआरएस मेडिकल कॉलेज, कोलार

एमडी फिजियोलॉजी

सामान्य

204904

5.2556989

8

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज फॉर विमेन, नई दिल्ली

एमडी बायोकेमिस्ट्री

सामान्य

205375

5.0132243

वास्तव में, 2024 में भी 2 लाख से अधिक रैंक वाले 25 उम्मीदवार सीटें पाने में सफल हो गए। यदि हम 2023 के आंकड़ों (जिनके लिए हमारे पास स्कोर भी था और पर्सेंटाइल की गणना की जा सकती थी) पर जाएं, तो इन छात्रों ने शून्य या नकारात्मक अंक प्राप्त किए होंगे।

इसका मतलब है कि 800 में से केवल 5 से लेकर 40 अंक तक प्राप्त करने वाले आवेदक या सभी उम्मीदवारों को मिले अंकों के घटते क्रम में व्यवस्थित करने के उपरांत तैयार होने वाली तालिका के सबसे नीचे रहने वाले 1% अभ्यर्थी स्नातकोत्तर चिकित्सा कोर्स में एडमिशन पा रहे हैं। जहां उच्च अंक वाले डॉक्टर रेडियोलॉजी, मेडिसिन और पीडियाट्रिक्स जैसे क्लिनिकल ब्रांच के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, वहीं सबसे कम अंक वाले चुपके से गैर-क्लिनिकल विषयों में एडमिशन पा जा रहे हैं — जिससे नीट पीजी की मेरिट-आधारित उम्मीदवारों के चुनाव वाली व्यवस्था पर विश्वास का संकट खड़ा हो जाता है।

योग्यता बनाम पैसा: कौन बन रहा डॉक्टर?

नीट पीजी डेटा एक दर्दनाक सच्चाई को उजागर करता है - कई मामलों में, योग्यता नहीं, बल्कि पैसा तय करता है कि कौन डॉक्टर बनेगा।

निजी और डीम्ड विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए बहुत मोटी फीस लेते हैं, जो कभी-कभी प्रति वर्ष दसियों लाख रुपये तक पहुंच जाती है। रेडियोलॉजी, त्वचा विज्ञान और मेडिसिन जैसी क्लिनिकल ब्रांच की मांग बहुत अधिक है और इनमें शीर्ष अंक प्राप्त करने वाले छात्र ही एडमिशन पाते हैं। लेकिन एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री और कम्युनिटी मेडिसिन जैसी नॉन–क्लिनिकल ब्रांच में बहुत सी सीटें खाली रह जाती हैं क्योंकि छात्र इन्हें पसंद नहीं करते।

यह महंगी सीटें किसी तरह से भर जाएं इसके लिए, काउंसलिंग अधिकारियों ने योग्यता कटऑफ को बार-बार कम किया - यहां तक कि 2023 में इसे 0 परसेंटाइल तक कम कर दिया। इसका परिणाम हुआ कि :

  • -40 या 0 अंक वाले छात्र पीजी सीटों पर दावा कर सके।

  • 2 लाख से अधिक रैंक वाले छात्रों को 2023 और 2024 में एडमिशन दिया गया।

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इसका मतलब यह है कि जिन अभ्यर्थियों का परीक्षा में बुनियादी प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहा, वे भी सीटें पा सकते हैं - बशर्ते वे फीस वहन कर सकें।

क्या हम ऐसे डॉक्टर तैयार कर रहे हैं जो सचमुच मरीजों का इलाज कर सकें, या सिर्फ ऐसे डॉक्टर जो कॉलेज की भारी-भरकम फीस भर सकें?: भारतीय स्वास्थ्य सेवा के लिए यक्ष प्रश्न

नीट पीजी विवाद सिर्फ़ नंबर, कटऑफ या रैंक से संबंधित नहीं है। यह भारत में स्वास्थ्य सेवा के भविष्य से जुड़ा सवाल है। जब नेगेटिव और शून्य अंक वाले छात्र भी क्वालीफाई कर रहे हैं, और जब दो लाख रैंक वाले भी सीटें हासिल कर स्पेशलिस्ट डॉक्टर बन सकते हैं, तो एक बुनियादी चिंता सामने आ खड़ी होती है: हमारी व्यवस्था किस तरह के डॉक्टर तैयार करेगी?

अगर यही रवैया चलता रहा, तो हम डॉक्टरों की एक ऐसी पीढ़ी तैयार करने का जोखिम उठा रहे हैं जिनके पास डिग्री तो होगी, लेकिन जीवन बचाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण या योग्यता नहीं होगी। मानकों को बेहतर बनाने के बजाए, ऐसा लगता है कि नीट पीजी काउंसलिंग व्यवस्था निजी और डीम्ड कॉलेजों की सभी सीटों को भरने पर केंद्रित है, भले ही इसके लिए गुणवत्ता से समझौता क्यों न करना पड़े।

यह सिर्फ़ छात्रों से जुड़ा मसला नहीं है। यह सभी नागरिकों से जुड़ा मामला है, क्योंकि कल यही उम्मीदवार उपचार करेंगे, आपात स्थिति संभालेंगे और मरीज़ों के जीवन-मरण से जुड़े फ़ैसले करेंगे।

अब देश को यह निर्णय लेना ही होगा:

  • क्या न्यूनतम चिकित्सा मानकों का कड़ाई से संरक्षण किया जाना चाहिए, भले ही कुछ सीटें खाली क्यों न रह जाएं?

  • या कॉलेजों से उनकी भारी-भरकम फीस की रकम छूटने न पाए, केवल यह सुनिश्चित करने के लिए मानदंडों को नीचे करते जाना जारी रखना चाहिए?

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इसका जवाब आने वाले समय में भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में लोगों का भरोसा बनाए रखने या तोड़ने का काम करेगा।

नीट पीजी प्रणाली चिकित्सा शिक्षा में योग्यता और न्यूनतम मानकों को बनाए रखने के लिए बनाई गई थी। लेकिन नकारात्मक अंक, शून्य अंक और 2 लाख से अधिक रैंक वाले छात्रों को सीटें मिलने की हैरतअंगेज सच्चाई दर्शाती है कि हम उस दृष्टिकोण से बहुत भटक गए हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो हम एक ऐसी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली तैयार करने का जोखिम उठा रहे हैं जहां पैसा तय करता है कि कौन डॉक्टर बनेगा, न कि उम्मीदवार की योग्यता।

संबंधित निकायों को अब जरूरी कदम उठाने होंगे। या तो वास्तविक कटऑफ लागू करके नीटी पीजी के मूल उद्देश्यों की रक्षा करें, या यह स्वीकार करें कि लाखों मरीज़ों का भरोसा धीरे-धीरे हमारे डॉक्टरों पर से उठता जाएगा।

क्योंकि अंततः यह सिर्फ सीट भरने या रैंक से जुड़ा मसला तो बिल्कुल नहीं है - हम किसे स्टेथेस्कोप लेकर बेशकीमती मानव जीवन की रक्षा करने की भूमिका में देखना चाहते हैं असल में नीट पीजी का संबध इस पहलू से जुड़ा है।

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Questions related to NEET PG

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Have a question related to NEET PG ?

Hi dear candidate,

For BJ Medical College in Ahmedabad, the cut off in 2024 for open category ranked around 1500 to 1600 for general surgery, 1200 to 1300 for orthopaedics and higher for ENT.

Know complete details at:

BJMC Ahmedabad Cutoff 2026: Check Previous Year’s Closing Cut Off Score/Trends

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Hello aspirant,

With a rank of 1760 in the NTRUHS PG management quota (B-category) and belonging to the AU region, getting a clinical seat is possible but mostly in the mid or lower-demand branches. High-demand clinical courses like Radiology, Dermatology and General Medicine generally close at much lower ranks, but seats in branches such as ENT, Opthalmology, Psychiatry, Anesthesia or General Surgery may still be available depending on this year's vacancy movement during later rounds. Keep track of round - wise allotments for clearer chances.

FOR REFERENCE : https://medicine.careers360.com/articles/neet-pg-counselling

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The merit list for Maharashtra PG NEET was out in late November 2025 followed by Round 1 and Round 2 on the official website cetcell.mahacet.org (//cetcell.mahacet.org) in December.

Kindly find more info at the link below:

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While the exact final list will only be available after the counseling process is complete, here is what you need to know:

  • Release Mechanism: The allotment result is released online as a PDF document, containing the roll numbers and ranks of candidates who secured a seat, along with the allotted college/course.

  • Access: You must log in to the MCC portal using your credentials to download your individual allotment letter.

Keep checking the dedicated Careers360 page for the direct link and official updates regarding the list release and subsequent reporting schedule https://medicine.careers360.com/articles/neet-pg-2025-round-one-seat-allotment-result